JCB मशीन से तालाब निर्माण करा बेरोजगार ग्रामीणों को ठेंगा दिखा रहे वन अमले...ग्रामीणों में भरा आक्रोश
सोनहत विकासखंड के वन परिक्षेत्र
देवगढ़ के अंतर्गत वन विभाग नरवा घूरवा योजना तहत कटगोड़ी बीट के सोनारी जंगल में
तालाब निर्माण का कार्य मजदूरों से न कराकर जेसीबी मशीन से कराया जा रहा है व
तालाब निर्माण में भारी अनियमितता बरती जा रही है और वन विभाग द्वारा कार्यस्थल पर
सूचना पटल भी नहीं लगाया गया है। इससे ग्रामीणों को तालाब की लागत एवं किस योजना के
तहत कार्य कराया जा रहा हैं और तालाब की लंबाई चौड़ाई एवं गहराई कितनी है इसकी भी
जानकारी नहीं मिल पा रही है। वहीँ वन अमलो के जिम्मेदार अधिकारी गांव वालों को
अंधेरे में रखकर उन्हें काम नहीं दे रहे हैं उक्त संबंध में ग्राम घुघरा व सोनरी
निवासी मोहन राम, सोभित राम, सोनसाय, बसंत राम, नथु लाल, नंद कुमार, ने जानकारी
देकर बताया की वन विभाग के द्वारा सोनरी के जंगल में जेसीबी से तालाब खुदाई का काम
कराया जा रहा हैं और हमारे यहां कई दिनों से लॉकडाउन लगा हुआ है जिससे ग्रामीणों
के पास कोई भी काम नही है उक्त वजह से जीवन यापन हेतु हमें काफी दिक्कते हो रही है
उसके बावजूद भी वन विभाग के द्वारा तालाब निर्माण का कार्य मजदूरों से न करा कर
जेसीबी से कराया जा रहा है। वही वन विभाग के द्वारा हमारे इस जंगल में जो भी काम
चलता है हमारे डिप्टी रेंजर साहब कभी भी मजदूरों से काम नही कराते ज्यादा कमाई
करने के उद्देश से बाहर अन्य जिला से जेसीबी मसीन वा टेरेकेटर ला कर काम कराया
जाता है हमसे यह कहा जाता है की मजदूरों से तालाब की खुदाई नहीं हो सकता जमीन
दर्री है, परंतु गांव वालों ने कहा कि कुछ दिन
मजदूरों से तालाब खुदाई करवाना चाहिए ताकि मजदूर अन्य प्रदेश वा दूसरे जिला जा कर
मजदूरी करने विवश न हों वन विभाग के कर्मचारी मजदूरों की एक नहीं सुनते हैंं वही
तालाब निर्माण में कई पेड़ो की बलि दी जा रही है व जेसीबी ट्रेक्टर को जंगल में
जाने के लिए प्लांटेशन की जाली नुमा तार सीमेंट के बने खंभे को तोड़ते हुवे रास्ता
बनाया गया है। अधिकारी तालाब निर्माण को लेकर किसी भी तरह की जानकारी देने से कतरा
रहे है। इसके साथ
ही तालाब का काम मेरे सर्किल में ही चल रहा है पर इसकी जानकारी मैं नही दे सकता
इंजीनियर आता है देख कर चला जाता है इंजीनियर का नाम भी मुझे नही पता है। कोरोना
काल मे ग्रामीण काम के लिए तरस रहा है और देवगढ रेंज मे साहब अपने मनमानी तरीके से
ट्रैक्टर जेसीबी मशीन लगाकर कर कर रहे काम और कितने पेडो की बली चड रही है यह
अन्दाजा नही लगाया जा सकता है ग्रामीणो जन द्वारा अगर अपने घरेलू उपयोग के लिए
सुखी लकड़ी भी अगर घर ले जाने पर अगर कोई भी फारेस्ट विभाग के द्वारा कार्यवाही कर
दी जाती है लेकिन क्या फारेस्ट विभाग के लिए क्या नियम कानून नही जो जगल मे जेसीबी
मशीन लगवा कर गरीब मजदूर का हक मार रही है और कितने पेड़ो की बली चड गई कोई सही नही
है ।
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