Your Ad Here!

समाजसेवी एंव आरटीआई कार्यकर्ता अभिनव पी० द्विवेदी ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप, मुख्यसचिव एंव पुलिस महानिदेशक को पत्र प्रेषित कर किया निष्पक्ष जांच की मांग

समाजसेवी एंव आरटीआई कार्यकर्ता अभिनव पी० द्विवेदी ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप, मुख्यसचिव एंव पुलिस महानिदेशक को पत्र प्रेषित कर किया निष्पक्ष जांच की मांग

 

  • ""यीशै दास जिला ब्यूरो चीफ कोरिया की रिपोर्ट"" 

मनेन्द्रगढ़-कोल इण्डिया में फैले गंदगी और गंदगी फैलाने वालों का सफाया करने की मुहिम समाजिक एंव आरटीआई कार्यकर्ता अभिनव पी० द्विवेदी ने आरंभ की है। सामाजिक कार्यकर्ता श्री द्विवेदी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि एसईसीएल हसदेव क्षेत्र अंतगर्त एसईसीएल प्रबंधन के समस्त उच्च अधिकारी फिर चाहे वो क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक,मुख्य महाप्रबंधक, डी.पी. व सीएमडी ही क्यों न हों या फिर सतर्कता विभाग के अधिकारी क्यों न हो, सभी गलत और कूटरचित दस्तावेजों से नौकरी प्राप्त कर चुके लोगों को अपने मोटी कमाई का जरिया बनाकर लोगों के द्वारा राज्य और केंद्र सरकार को टैक्स के रुप में भुगतान कर रहे राशि का उक्त दोषियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही न करने के बजाए उन्हें मोटी राशि का भुगतान करने के लिए अमादा और पागल हो चुके हैं ताकि उक्त अधिकारियों को उनका हिस्सा आसानी से मिल सके। दरअसल पूरा मामला एसईसीएल हसदेव क्षेत्र का है जहां सामाजिक कार्यकर्ता श्री द्विवेदी ने केन्द्रीय चिकित्सालय मनेन्द्रगढ़ में पदस्थ रहे लिपिक चंदन सरकार के संबंध में आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेजों पर एसईसीएल एंव कोल इण्डिया के तमाम उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि चंदन सरकार जो कि केंद्रीय चिकित्सालय मनेन्द्रगढ़ में लिपिक के पद पर पदस्थ था जिसकी जन्मतिथी शैक्षणिक अभिलेख के अनुसार है जिसे नियमतः तीन वर्ष पूर्व ही सेवानिवृत्त हो जाना था जबकि प्रबंधन ने उससे जानबूझकर जानते हुए भी नियमों को ताक में रखते हुए अपने आपको सर्वे सर्वा मानकर तीन वर्ष ज्यादा ड्यूटी कराए। जबकि चंदन सरकार की शैक्षणिक अभिलेख के अनुसार उसकी जन्मतिथि 02/12/1957 है जिसका सामाजिक कार्यकर्ता के पास पुख्ता सबूत भी है। वहीँ चंदन सरकार ने अपने एक शपथ पत्र में भी स्वीकार किया है कि उसकी मूल जन्मतिथी 02/12/1957 है, ठीक उसके विपरीत कोल माईंस पीएफ आर्गनाईजेशन चंदन सरकार को करोड़ों रुपया भुगतान करने की फिराक में है । वहीं वर्तमान में केंद्रीय चिकित्सालय मनेन्द्रगढ़ में लिपिक के पद पर पदस्त संतोष कुमार धर की अंकसूची एसईसीएल प्रबंधन के द्वारा आरटीआई के तहत उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार नहीं है जबकि विश्वस्त सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई है कि उक्त संतोष कुमार धर ने एक अंकसूची एसईसीएल प्रबंधन को उपलब्ध कराया है जिसे नोटशीट के साथ मुख्यालय बिलासपुर भेजा गया है। साथ ही केन्द्रीय चिकित्सालय में लिपिक एंव मुख्य चिकित्सा अधिकारी नम्रता स़िह के पीए के रुप में कार्यरत अभिभूषण चंदा का मामला तो बिल्कुल ही अनोखा है। कारण की अभिभूषण चंदा की नियुक्ति स्व० बी०बी० सरकार के आश्रित के रुप में एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर के द्वारा वर्ष 1988 में की गई है। जबकि अभिभूषण चंदा के पिता का नाम सेवा अभिलेख में के०के० चंदा दर्ज है । जबकि कोल मंत्रालय के निर्देशानुसार अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान मृतक के पति/पत्नी/पुत्र/पुत्रवधु/विधवा पुत्रवधु कानूनी रुप से गोद लिए गए को है। किंतु उक्त अभिभूषण चंदा के द्वारा ऐसा कोई भी दस्तावेज एसईसीएल प्रबंधन के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया हैं या फिर एसईसीएल प्रबंधन जानबूझकर उक्त मामले को रफा दफा करने का प्रयास कर उसे भी जनता के द्वारा कर के रुप में जमा किए गए करोड़ों रुपए उपहार स्वरुप अपनी मोटी कमाई करने के उद्देश्य से है।

 

बताना चाहें कि चंदन सरकार के आरटीआई के माध्यम से उपलब्ध कराए दस्तावेजों के आधार पर उनके सेवा अभिलेख में काफी छेड़ छाड़ की गई है जो प्रथम दृष्टतया प्रमाणित होते हैं जिसे एसईसीएल प्रबंधन द्वारा छिपाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। वहीं कोल इण्डिया के पत्र क्रमाक आई.आई.न.34 दिनांक 17.07.1984 एंव आई.आई.9 9 दिनांक 22.07.1985 के अनुसार लिपिक के लिए न्यूनतम अनिवार्य योग्यता 10 वीं या उसके समकक्ष माना गया है जबकि उपरोक्त तीनों ही प्रकरणों में इनमें से किसी के पास भी कक्षा 10वीं की योग्यता नहीं है और मजे से प्रत्येक माह लाखों रुपया जो खदान के अंदर जाकर अपना खून पसीना बहाता है के बराबर तनख्वाह उठाकर लोगों के पैसों का बंदरबांट कर रहे हैं जिसमें प्रबंधन की आखों में काली पट्टी बांधी हुई है। खैर सामाजिक कार्यकर्ता ने केंद्रीय सचिव कोल माईंस अनिल जैन एंव प्रदेश के मुख्य सचिव अमिताभ जैन,पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर उक्त पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करने हेतु उन्हें पत्र प्रेषित किया है। बताना चाहेंगें कि चंदन सरकार के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जा चुकी है जो वर्तमान में लंबित है।


Share on Google Plus

0 comments:

Post a Comment