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जिले का पहला स्व-चलित मौसम वेधशाला जल्द होगा शुरु... घटित वास्तविक मौसम की मिलेगी सटीक जानकारी... फसल प्रबंधन में किसानों को मिलेगी मदद...

जिले का पहला स्व-चलित मौसम वेधशाला जल्द होगा शुरु... घटित वास्तविक मौसम की मिलेगी सटीक जानकारी... फसल प्रबंधन में किसानों को मिलेगी मदद...


  • यीशै दास जिला ब्यूरो चीफ कोरिया की रिपोर्ट

भारत मौसम विज्ञान विभाग, नई दिल्ली एवं ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के अंतर्गत जिला कृषि मौसम इकाई कृषि विज्ञान केंद्र, सलका के प्रक्षेत्र में स्व-चलित मौसम वेधशाला (आटोमेटिक वेदर स्टेशन) की स्थापना की जा रही है, जो पूर्ण होने के अंतिम चरण पर है। यह जिले का पहला स्व-चलित मौसम वेधशाला होगा, जो सेंसर आधारित मौसम के प्रत्येक तत्वों की घटित होने की प्रत्येक 30 मिनट की सटीक जानकारी देगा। यह उपकरण सौर उर्जा से संचालित होगा, साथ ही मौसम के सभी पैरामीटर को डाटा सेंसर से रिकार्ड कर डाटा लॉगर में संप्रेषित व स्टोर करेगा। आटोमेटिक वेदर स्टेशन सेटेलाईट से जुड़ा होगा, जो यहाँ से मौसम केंद्र मुख्यालय पुणे, को डाटा निरंतर भेजेगा। डाटालॉगर में डाटा संग्रहण रहेगा, कम्प्यूटर पर स्टोर उपयोग कर सकते है।  कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री आर.एस राजपूत ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र में वर्ष 2019 में निदेशक विस्तार सेवाएँ, इं.गाँ.कृ.वि.वि, रायपुर, भारत मौसम विज्ञान विभाग, नई दिल्ली एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के सयुंक्त तत्वाधान में ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के अंतर्गत जिला कृषि मौसम इकाई की स्थापना की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य जिले एवं ब्लाक स्तर के किसानों तक मध्यम अवधि पूर्वानुमान के साथ-साथ फसलों में आने वाले दिनों में मौसम के अनुसार किसानों को कार्ययोजना की जानकारी बुलेटिन के माध्यम से सप्ताह में दो बार (मंगलवार एवं शुक्रवार) ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के अंतर्गत जिले के अलग-अलग ग्रामपंचायत एवं तहसील स्तर के किसानों को सोशलमीडिया के माध्यम से, किसानो के रजिस्टर्ड मोबाईल नम्बर पर टेक्स्ट मेसेज से, विभिन्न संस्थाओ द्वारा निर्मित मोबाईल एप मेघदूत, दामिनी, क्रॉप डाक्टर, किसान सुविधा एप आदि के माध्यम से, स्थानीय स्तर के समाचार पत्रों के माध्यम से, ब्लॉगर, रेडियो प्रसारण एवं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा कृषकों के प्रक्षेत्र पर जाकर जानकारी देना, विभिन्न कृषक जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से भी जिले के किसानों को जानकारी दी जाती है जिससे किसान मौसम में होने वाले परिवर्तन को समझ सके एवं मौसम के अनुसार खेती कर सके एवं मौसम से होने वाले नुकसान को कम कर सके और अधिक ऊपज प्राप्त कर सके। कृषि विज्ञान केंद्र में वर्ष 2017-18 में पहली बार मौसम विज्ञान विभाग, इं.गाँ.कृ.वि.वि, रायपुर एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग, पुणे के दूवारा कृषि मौसम वेधशाला की स्थापना की गई थी जिसमे मौसम सम्बन्धित विभिन्न उपकरण लगाये गये हैं, जैसे-वर्षामापी, अधिकतम एवं न्यूनतम तापमापी, हवा की दिशा एवं गति मापक यंत्र, वाष्पीकरण, सूर्य प्रकाश अवधि, आर्द्रता मापी एवं भूमी तापमापी (5, 10 एवं 20 सेमी. गहराई) आदि का एक निश्चित समय पर प्रतिदिन सुबह में 7 बजे एवं दोपहर में 2 बजे आंकड़ों का आब्जर्वेशन लिया जाता है।

  • आटोमेटिक वेदर स्टेशन की क्या है उपयोगिता -

जिले में घटित वास्तविक मौसम की सटीक जानकारी हो सकेगी। इसके द्वारा फसलों का प्रबंधन मौसम के वास्तविक आंकड़ों के आधार पर किया जायेगा। जिले के वास्तविक भौगोलिक जलवायु स्थितियों का आकलन करने में सुलभता होगी। वास्तविक एवं पूर्वानुमान आंकड़ों के आधार पर कृषि विज्ञान केंद्र खेती व पशुपालन के समसामयिक सुझाव जारी करेगा जिसके अनुरूप खेती व फसल का प्रबंधन कर किसान मौसम से होने वाले नुकसान से बच सकेंगे। बारिश और वाष्पोउत्सर्जन के आंकड़ों की गणना कर जल की मात्रा व सिंचाई निर्धारित करने में सहायता जिससे जल की बचत होगी। किसानों को फसल की बोआई, कटाई व मड़ाई से लेकर अन्य प्रबंधन करने के लिए सटीक जानकारी मिलेगी। अनुसन्धान करने वाले वैज्ञानिक, विद्यार्थीयों को वास्तविक मौसम की सटीक जानकारी हो सकेगी जिससे अनुसन्धान करने में सहायता होगी।



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