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माननीय उच्च न्यायालय ने अहम फैसला देते हुए कहा... विवाह विच्छेद हो जाने के पश्चात् पत्नी को भरण-पोषण मांगने का अधिकार नहीं...

माननीय उच्च न्यायालय ने अहम फैसला देते हुए कहा... विवाह विच्छेद हो जाने के पश्चात् पत्नी को भरण-पोषण मांगने  का अधिकार नहीं... 

माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने भरण-पोषण के एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया कि विवाह विच्छेद के पश्चात् पत्नी भरण-पोषण की राशि नहीं ले सकती। उक्त मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस एन०के चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में हुई। वहीँ राहुल तिवारी ने अधिवक्ता रामसेवक सोनी मनेन्द्रगढ़ के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका प्रस्तुत कराई थी जिसमे उन्होंने बताया कि उसका विवाह वंदना तिवारी के साथ हुआ था तथा विवाह के पश्चात् उक्त दोनों मात्र एक माह ही साथ रहे के पश्चात् पत्नी वंदना तिवारी जो अपनी स्वेच्छा से अलग होकर अपने मायके मनेंद्रगढ़ आ गई और वहीं रहते हुए उसने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के लिए निचली अदालत में आवेदन प्रस्तुत की थी जो वर्ष 2017 में खारिज कर दिया गया था कारण की उक्त वंदना तिवारी जो अपनी स्वेच्छा से अलग रह रही थी इसके बावजूद उन्होंने विवाह विच्छेद हेतु आवेदन प्रस्तुत कर दिया तथा तलाक का मामला चलने के दौरान ही उन्होंने हिंदू दत्तक भरण पोषण अधिनियम की धारा 18 के तहत विवाहित महिला को भरण पोषण दिलाए जाने की मांग की किंतु तब तक उसी कुटुंब न्यायालय द्वारा पति पत्नी के बीच तलाक के आदेश पारित कर दिए गए के 1 महीने पश्चात् उक्त न्यायालय द्वारा हिन्दू दत्तक भरण पोषण अधिनियम की धारा 18 के तहत पत्नी के आवेदन को स्वीकार करते हुए 3000/- रूपये प्रतिमाह देने का आदेश भी पति को दिया। वहीँ इस प्रकार से पत्नी के पक्ष में दिए गए फैसले के विरुद्ध उक्त याचिकाकर्ता ने माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में अपील प्रस्तुत कर चुनौती दे दी जिसकी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चंद्रभवन मामले को अहम बताते हुए माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने अंतिम आदेश पारित किया। जिसमे उक्त  निचली अदालत के फैसले को निरस्त कर उक्त याचिकाकर्ता की अपील को स्वीकार करते हुए। माननीय उच्च न्यायालय ने कहा कि उक्त महिला तलाकशुदा है और हिंदू दांपत्य पुनर्व्यवस्थापन की धारा 9 का पालन नहीं हुआ था और वह याचिकाकर्ता के साथ रहने के लिए जबलपुर ससुराल नहीं गई। दोनों के मध्य तलाक भी हो चुका है इस आधार पर उक्त याचिकाकर्ता की अपील स्वीकार की जाती हैं। इसके साथ ही माननीय उच्च न्यायालय ने अपने उक्त पारित आदेश में यह भी कहा कि एक तलाकशुदा पत्नी हिंदू विवाह दत्तक भरण-पोषण अधिनियम की धारा 18 के तहत भरण-पोषण प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है।

  • प्रिंस शर्मा की रिपोर्ट 

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