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दुधनियाखुर्द में रहने वाले संतकुमार अपने खेतों में सिंचाई सुविधा से हो गए आत्मनिर्भर

दुधनियाखुर्द में रहने वाले संतकुमार अपने खेतों में सिंचाई सुविधा से हो गए आत्मनिर्भर


जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर से लगभग 12 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत रटगा के आश्रित ग्राम दुधनिया के रहने वाले श्री संतकुमार के लिए जहां चाह वहां राह वाली कहावत पूरी तरह से चरितार्थ होने लगी है। पहले दूसरे के खेतों में मेहनत का पसीना बहाने वाले श्री संतकुमार अब महात्मा गांधी नरेगा की मदद से अपने खेतों में सिंचाई की सुविधा पाकर  आत्मनिर्भर होने की राह पर अग्रसर हो रहे हैं। श्री संतकुमार लगभग पांच एकड़ भूमिस्वामी होने के बावजूद इनके पास अपना कोई पेयजल और सिंचाई का माध्यम नहीं था। पेयजल के अलावा दैनिक निस्तार के लिए यह परिवार दूर स्थित हेंडपंप पर निर्भर रहता था वहीं गर्मियों में यह दिक्कत और भी बढ़ जाती थी। इसके अतिरिक्त सिंचाई का साधन ना होने के कारण इन्हे बारिष आधारित खेती के अलावा कोई दूसरी फसल लेना मुष्किल होता था। धान की परंपरागत खेती के अलावा यह मनरेगा के अकुषल रोजगार पर निर्भर रहते थे या फिर गांव के बाहर जाकर दैनिक मजदूरी करनी पड़ती थी। परंतु महात्मा गांधी नरेगा के तहत कूप बन जाने के बाद से इनका परिवार अब अपने खेतों में ही साग-सब्जी का भरपूर उत्पादन कर रहा है। इससे इनके दैनिक उपयोग के लिए भरपूर खाद्यान्न और सब्जी भी प्राप्त होने लगी है और साथ ही यह बाजार में उसे बेचकर अपनी अन्य जरूरतों को भी आसानी से पूरा करने लगे हैं।  इस संबंध में जानकारी देते हुए श्री संतकुमार कहते हैं कि महामारी के दौरान जब सब जगह आना जाना और बाजार बंद थे तब उनके खेतों में लगाई गई साग सब्जी से गांव के लोगों को उन्होने हरी सब्जियां उपलब्ध करवाईं इससे उन्हे अच्छी कमाई भी प्राप्त हुई। संतकुमार ने बताया कि बीते साल गर्मियों में ही उनका कुंए का काम पूरा हुआ इससे उनको रोजगार भी प्राप्त हुआ। कुंआ बन जाने के बाद उनके परिवार ने अपने खेतों में मेहनत की और धान की फसल की समय पर बोनी की। इससे उन्हे अच्छा लाभ हुआ इस बार उनके खेतों में 40 क्विंटल धान का बंपर उत्पादन प्राप्त हुआ। इसके अलावा उन्होने कुंए के पास के खेतों में सब्जियो की बुआई कर आलू मटर टमाटर जैसी फसलें लगाईं और उन्हे बाजार में बेचकर 15 हजार रूपए कमाए। धान की फसल के बाद संतकुमार ने खेतों में गेंहू की फसल लगाई और 10 क्विंटल गेंहूं का भी उत्पादन लिया। रबी की फसल के बाद अपने खेतों मंे उन्होने सिंचाई सुविधा का भरपूर लाभ लेते हुए अलग अलग तरह की दर्जनभर सब्जियों का उत्पादन किया जिससे उन्हे प्रतिमाह लगभग 10 से 12 हजार रूपए की आमदनी हुई। महात्मा गांधी नरेगा के तहत बने कुंए से अब यह परिवार अपने खेतों मे सालभर अलग तरह की फसलों की खेती कर अपनी आर्थिक उन्नति की राह पर अग्रसर है। कार्य के तकनीकी अधिकारी श्री होरीलाल ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में श्री संतकुमार के खेतों में कूप निर्माण का आवेदन ग्राम पंचायत को प्राप्त हुआ था। जनपद पंचायत के अनुमोदन के पष्चात जिला पंचायत से एक लाख अस्सी हजार रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई। वर्ष 2020 में इनका कुंआ बनकर तैयार हुआ जिसमें इनके परिवार को अकुषल श्रम करने पर मजदूरी का लाभ भी प्राप्त हुआ। कुंआ बन जाने के बाद से यह परिवार अब अपने रोजी रोटी की चिंता से मुक्त होकर बेहतर जीवन जीने लगा है।    


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