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इलाज के आभाव में जूझ रहे रेल कर्मचारी...SECL केन्द्रीय चिकित्सालय में नहीं मिलता दाखिला...जिम्मेदार कौन ??

इलाज के आभाव में जूझ रहे रेल कर्मचारी...SECL केन्द्रीय चिकित्सालय में नहीं मिलता दाखिला...जिम्मेदार कौन ?? 


सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार मानवता के प्रति सेवा को ईश्वर की सेवा बता कर कुछ समय तक सुर्खियों में बने रहने वाली रेलवे चिकित्सक मनेन्द्रगढ़ की कार्यप्रणाली से इन दिनों रेल कर्मचारी बड़े खफा दिखाई दे रहे हैं बताया जा रहा है कि पदस्त समय से उक्त रेलवे चिकित्सक के द्वारा रेल कर्मचारियों से बड़ी सहानुभूति जताई जाती रही है| लेकिन अब तो इस कोरोना महामारी की आड़ लेकर उक्त चिकित्सक ने गिरगिट की तरह रंग बदल कर कर्मचारियों से सहानुभूति तो दूर उन्हें छूना भी पसंद नहीं कर रही ? कारण कि शायद कोरोना का डर उनके दिलों दिमाग में इस कदर असर कर गया है कि वह चिकित्सा का फर्ज ही भूल गई है| जबकि चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया जाता हैं| किंतु उक्त ओहदे को भूलकर बिना जांच के ही फासला बना दूर से ही दवा लिखकर देती नजर आती है वहीँ एक पीड़ित रेल कर्मचारी के कथनानुसार जो गार्ड पद का रेल कर्मचारी हैं और उसकी बड़ी जोरदार तबीयत बिगड़ जाने के कारण से उसे डिसेंट्री हो रही थी उक्त वजह से उक्त कर्मचारी ने रेलवे सीक BN-100 लेकर उक्त रेलवे चिकित्सक के पास गया तो उक्त रेलवे चिकित्सक ने उक्त पीड़ित का जांच करना उचित न समझा और न ही उसे बेड रेस्ट हेतु 3-4 दिन तक सीक पर रखने के बजाये उक्त मरीज को एक पर्ची में दवा लिखकर साथ ही तत्काल उसे ड्यूटी हेतु फिट भी कर दिया यदि ऐसे में उक्त कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव निकलता तो उसका जिम्मेदार कौन होता ? जो एक प्रश्न का विषय बना हुआ है| इसके अतिरिक्त रेलवे विभाग द्वारा SECL केंद्रीय चिकित्सालय मनेन्द्रगढ़ में रेल कर्मचारियों के लिए करीब 8 बेड उपलब्ध कराए गए हैं लेकिन BP, शुगर से ग्रसित पीड़ित रेल कर्मचारियों को उक्त केंद्रीय चिकित्सालय मनेन्द्रगढ़ में भर्ती न करके बोला जाता है कि पहले कोरोना टेस्ट कराके आओ इस प्रकार बोलते हुए उक्त पीड़ित रेलवे कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाना एक आम बात हो गया है इतना होते हुए भी उक्त रेलवे चिकित्सक के द्वारा BP,शुगर से ग्रसित पीड़ित रेल कर्मचारियों को उक्त केंद्रीय चिकित्सालय मनेन्द्रगढ़ में भर्ती कराये जाने उक्त दिशा में किसी भी प्रकार से कार्यवाही नहीं किए जाने से उक्त चिकित्सक की सेवा में कमी को दर्शाता है| यदि ऐसे में किसी BP,शुगर से ग्रसित रेलवे कर्मचारी की तबीयत खराब होने पर उक्त कर्मचारी को कहां भर्ती कराया जाए अब यह उक्त पीड़ित रेल कर्मचारियों के सामने एक बड़ी समस्या बनी हुई है| अब देखना यह है कि इस प्रकार के हालातों से जूझ रहे पीड़ित रेल कर्मचारियों को उक्त SECL केंद्रीय चिकित्सालय मनेन्द्रगढ़ में भर्ती कराए जाने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक बिलासपुर के द्वारा कार्यवाही की जाएगी या फिर उक्त प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल कर उक्त BP, शुगर से ग्रसित पीड़ित रेल कर्मचारियों के मौत होने का इंतजार करते रहेंगे|

  • प्रधान संपादक की कलम से - सिरिल दास 

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