ग्राम पंचायत छिपछिपी के सरपंच... विकलांग पेंशन और मनरेगा मजदूरी के पैसों पर जिंदगी के मजे ले रहे हैं... हितग्राही दर बदर ठोकरें खाने को मजबूर है...
कोरिया
जिला मनेन्द्रगढ़ जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाला ग्राम पंचायत छिपछिपी का एक
मामला सामने आया है जहां सरपंच ने एक विकलांग बुजुर्ग के मनरेगा मज़दूरी और
विकलांगता पेंशन का पैसा पिछले कई वर्षों से अपने खाते में मंगा रहे हैं और जब इस
बारे में सरपंच से मीडिया ने पूछताछ करने की कोशिश की तो पहले तो सरपंच महोदय आग
बबूला हो गए और इस बारे में कोई भी जानकारी नही होने की बात कहते हुए टालने की
कोशिश की लेकिन कुछ देर बाद खुद गोल मटोल बातें बना कर मीडिया को भटकाने की कोशिश
करते नज़र आये।आपको बता दें कि ग्राम पंचायत छिपछिपी के रहने वाले राम सिंह जो कि
शारीरिक रूप से विकलांग और बोलने में भी असमर्थ है जिन्हें शासन के द्वारा दिए जा
रहे लाभ विकलांग पेंशन साथ ही मनरेगा में जॉब कार्ड के माध्यम से छोटे-मोटे कार्य
कर अपना पेट पाल रहे थे यह बात शायद ग्राम पंचायत छिपछिपी के सरपंच राम सिंह नेताम
को रास नही आई और सरपंच ने इनके दोनों पैसों को अपने खाते में जमा करवाना शुरू कर
दिए और जब विकलांग राम सिंह के भतीजे ने इसकी जांच पड़ताल कराई तो पता चला कि कई
वर्षों से इनके पैसों को सरपंच अपने खातों में जमा करवा रहे हैं,हो सकता है कि सरपंच द्वारा ग्राम छिपछिपी के और भी लोगों के पैसे
इसी तरह अपने खाते में जमा करवा रहे होंगे,अब तो जनपद पंचायत मनेन्द्रगढ़ को सरपंच महोदय की जांच करवा लेनी
चाहिए जिससे”दूध का दूध और पानी का पानी” हो जाये
बड़े ही शर्म की बात है कि ग्राम पंचायत छिपछिपी के सरपंच द्वारा
पिछले कई वर्षों से एक विकलांग व्यक्ति के पैसों पर मौज किया जा रहा है इस बात की
पुष्टि खुद रोजगार सहायक ने भी की है,मीडिया की दखलअंदाजी और जनपद कार्यालय से लेकर थाने तक में इसकी
शिकायत होने की बात जब सरपंच महोदय को पता चला तो कार्यवाही के डर से आनन-फानन में
सरपंच ने विकलांग राम सिंह के खाते में 17 हजार रुपए चेक के माध्यम से जमा करवा दिए,अब देखना यह होगा कि ग्राम पंचायत छिपछिपी के सरपंच की इस धांधली पर
जनपद पंचायत मनेंद्रगढ़ किस तरह की और कब तक कार्यवाही करता है यह तो आने वाला
वक़्त ही बताएगा,लेकिन जांच के बाद सरपंच को क्या
सजा मिलती है यह तो देखने वाली बात होगी लेकिन वर्तमान में हितग्राही दर बदर की
ठोकरें खाने को मजबूर है
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